बहुत से लोग आर्थिक तंगी के चलते घर बनाने के लिए लोन तो ले लेते है लेकिन होम लोन इंसयोरेंस लेना सही नहीं समझते है। होम लेकर घर बनाने के बाद होम लोन चुकाना एक बड़ी समस्या रहती है।
खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास कमाई के अच्छे संसाधन नहीं है। ऐसे मे अगर किसी व्यक्ति के घर मे कमाने वाला एक ही व्यक्ति हो और उसकी भी किसी दुर्घटना मे मृत्यु हो जाए तो ऐसे मे उस परिवार के लिए लोन चुकाना बड़ा बोझ बन जाता है। उन्हे डर रहता है कि काही उनका घर ही न बिक जाए।
ऐसी परिसतिथियों मे होम लोन इंसयोरेंस काम मे या है। अगर आप इसके बारे मे नहीं जानते है तो लेख को अंत तक पढे। इस लेख मे हम आपको होम लोन इंश्योरेंस के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। इस लेख मे हम आपको बताने वाले है कि होम लोन इंश्योरेंस की है । होम लोन इंश्योरेंस का लाभ कैसे ले ।
होम लोन बीमा Home Loan Insurance 2025
होम लोन इंश्योरेंस (Home Loan Insurance), जिसे होम लोन प्रोटेक्शन प्लान (HLPP) के नाम से भी जाना जाता है। ये ऐसा इंसयोरेंस है। अगर कोई व्यक्ति होम लोन लेकर घर बनाता है। लेकिन लोन की राशि पूरी चुकाने से पहले ही व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। तो उसके बाद होमलोन इंश्योरेंस देने वाली कंपनी लोन की बची हुई राशि की भरपाई करती है। जिसके कारण मरने वाले व्यक्ति के परिवार को लोन चुकाना नहीं पड़ता और न ही घर खाली करने कि जरूरत होती है। इंसयोरेंस की अवधि भी लोन अवधि के बराबर ही होती है।
होम लोन इंसयोरेंस के प्रकार
- रिड्यूसिंग कवर प्लान – होम लोन की राशि के साथ बीमा कवर कम होता है।
- लेवल कवर प्लान– लोन अवधि के दौरान बीमा कवर समान रहता है
- हाइब्रिड कवर प्लान– पहले साल पूरा कवर रहता है , बाद में लोन के साथ कम होता है।
होम इंश्योरेंस मे घर मे मौजूद समान के चोरी होने प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान होने इत्यादि मे कवर मिलता है। इसके अलावा अगर लोन चुकाने वाले व्यक्ति को कुछ हो जाता है । तो उसमे होम लोन इंश्योरेंस लोन की बची हुई राशि चुकाने मे मदद करता है।
इसे भी पढे :- थर्ड पार्टी इंसयोरेंस कैसे ले |
होम इंश्योरेंस और होम लोन इंश्योरेंस में अंतर
- अगर आप होम लोन लेकर घर बना रहे है। तो आपको उसके साथ होम लोन इंश्योरेंस लेना है या नहीं ये आप पर निर्भर है । होम लोन देने वाली कंपनी किसी भी व्यक्ति को होम लेने देने के साथ होम लोन इंश्योरेंस कवर लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती है ।
- कई बार लोग होम इंश्योरेंस और होम इंश्योरेंस के बीच अंतर समझ मे नहीं आता है। दोनों कवर का उदेश्य अलग अलग होता है।
- होम इंश्योरेंस एक ऐसा बीमा जो आपके घर प्रॉपर्टी को भूकंप, तूफान, बाढ़, आगआदि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कवर करता है। जबकि होम लोन इंश्योरेंस
प्रॉपर्टी खरीदने के लिए आपके द्वारा लिए गए लोन को कवर करता है। जिस समय आप लोन लेते है उस समय से यह योजना केवल लोन के मूल्य को कवर करती है।
इसे भी पढे :- जीवन बीमा क्या है |
होम लोन इंश्योरेंस लेने के फायदे
- होमलोन लकर घर बनाने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। तो बाकी के लोन की बची हुई राशि होम लोन इंश्योरेंस के द्वारा जमा हो जाती है जिससे पीड़ित के परिवार को लोन राशि जमा करने की जरूरत नहीं होती।
- होम लोन इंश्योरेंस कवर लेने के बाद कठिन परिसतिथियों मे लोन चुकाने का भार दूसरों पर नहीं पड़ता है।
- बहुत स बैंक इंश्योरेंस की प्रीमियम राशि को ईएमआई में जोड़ देते है। जिससे ईएमआई बहुत ज्यादा नहीं बढ़ती है।
- होम लोन प्रोटेक्शन स्कीम एक टर्म इंश्योरेंस की तरह होता है जिसकी अवधि आप खुद ही कर सकते है। आप जब तक इसका लाभ लेना चाहते है। उस समय तक ही आपको इसका प्रीमियम जमा करना होगा।
- गंभीर बीमारी में भी पीड़ित को इंश्योरेंस कवर का लाभ मिलता है। अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की नौकरी चली जाती है । तो अगले तीन ईएम आई का भुगतान इंसयोरेंस कंपनी के द्वारा किया जाता है।
एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस क्या है इसका किस प्रकार फायदा उठाये |
फायदा कब नहीं मिलेगा?
अगर आप होम लोन को समय से पहले बंद करते है। या किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर ट्रांसफर करते है। तो ऐसी स्तिथि मे आपका बीमा कवर बंद हो जाएगा ।
स्वाभाविक मृत्यु या आत्महत्या के मामले भी पीड़ित के परिवार को होम लोन प्रोटेक्शन का लाभ नहीं मिलेगा।
लोन इंश्योरेंस कहां से ले सकते हैं ?
आप जिस भी बैंक या नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी से होम लेते हो वही कंपनी आपको
होम लोन इश्योरेंस की सुविधा भी प्रदान करती है । ऐसे मे आप उन्ही कंपनी से होम लोन इंश्योरेंस कवर भी ले सकते है।
प्रीमियम कितना देना होता है ?
आप जितना भी होम लोन कवर लेते हो , होम लोन इंश्योरेंस कवर ले ने के लिए आपको लोन राशि का दो से तीन फीसदी प्रीमियम जमा करना होता है। बीमा कवर प्रदान करने वाली कंपनियां इंश्योरेंस का प्रीमियम लोन की रकम, लोन की अवधि, लोन लेने वाले व्यक्ति की आयु और आय को देखकर निर्धारित करती है।