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दुनिया मे बढ़ती हुई नई नई बीमारियों के कारण हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance Policy) लोगों की जरूरत बन गया है जो लोगों को ऐसे समय काम आता है। जब उसे जिंदगी बचाने के लिए इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है इसकी सहायता से आपकी कमाई पर कोई असर नहीं होता है। आप आसानी से अपना इलाज करवा सकते है।

यही कारण कि आज के हालातों देखते हुए लोग हेल्थ इंसयोरेंस के प्रति ज्यादा जागरूक हो रहे है, लेकिन इसके बावजूद भी हेल्थ इंसयोरेंस के प्रति लोगों के मन मे कुछ मिथ बने हुए है। जिसके वजह से वे इसे अपनाने से डरते है। इसका खमियायजा उन्हे तब भुगतना पड़ता है।

जब उनकी मदद करने वाला कोई नहीं होता है। उन्हे अपना इलाज करवाने के लिए अपना घर तक बेचना पड़ जाता है। अब आप समझ सकते है कि आज के समय मे लोगों को हेल्थ इंसयोरेंस की कितनी जरूरत है।

आज हम आपको इस लेख मे हेल्थ इंसयोरेंस से जुड़े कुछ ऐसे मिथ से पर्दा उठाने वाले है जिनके बारे मे लोगों को अधूरी जानकारी होने के कारण वे इसे अपनाने से डरते है। आप इन मिथ के बारे मे जानकर हेल्थ इंसयोरेंस पॉलिसी का लाभ उठा पायेंग।

मैं युवा हूं मुझे हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत नहीं है 

अगर आप भी ये सोचते है कि अभी आप युवा है और आपको हेल्थ इंसयोरेंस पॉलिसी की जरूरत नहीं है, तो ये सोच आपकी बिल्कुल गलत है क्योंकि युवा अवस्था मे ही जब आप पूरी तरह से स्वस्थ होते है। तब हेल्थ पॉलिसी खरीदना सबसे अच्छा होता है।

अगर आप वर्तमान मे स्वस्थ है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप भविष्य मे  कभी बीमार नहीं होंगे। इसलिए उसकी तैयारी पहले से ही रखे, ताकि अगर आपको भविष्य मे किसी प्रकार की इमरजेंसी की जरूरत होती है, तो आप किसी अच्छे हॉस्पिटल से अपना इलाज आसानी से करवा सकते है।

बहुत से लोग दुनिया से इसी वजह से चले जाते है, क्योंकि उन्हे  सही समय अच्छे हॉस्पिटल का इलाज नहीं मिल पाता या उनके पास किसी बड़े हॉस्पिटल मे इलाज करवाने का बजट नहीं होता है या फिर उन्हे इमरजेंसी मे इलाज करवाने के लिए अपना घर तक बेचना पड़ जाता है।

आम तौर पर हेल्थ इंश्योरेंस मे  प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियां की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के कुछ वर्ष साल बाद ही पॉलिसी कवर मिलता है।

हेल्थ पॉलिसी लेंने के बाद आपकी मासिक, छमाही , या सालाना प्रीमियम जमा करना पड़ता है। हेल्थ पॉलिसी मे आपकी सुविधा के अनुसार अलग अलग प्लान होते है। जिसे आप अपनी जरूरत के अनुसार चुन सकते है। उसे के हिसाब से आपका प्रीमियम तय होता है।

सबसे सस्ता प्लान ही होता है सबसे बढ़िया प्लान

अगर आपकी भी यही सोच है कि कम प्रीमियम वाले प्लान ही सबसे अच्छे होते है, तो इसका मतलब है कि हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में अभी पास अधूरी जानकारी है। इसलिए बेहतर होगा कि पहले आप इसके बारे मे सही तरीके से जानकारी ले। अगर आपके पास सही जानकारी होगी तभी आप इसे लेने के बारे मे सोच पाओगे।

असल मे हेल्थ इंसयोरेंस पॉलिसी ( Health Insurance Policy ) लेंने से पहले आपको बहुत से चीजों के बारे मे पता होना चाहिए जैसे कि इंसयोरेंस कॉम्पनी का हॉस्पिटल नेटवर्क कि इस कॉम्पनी के अंतर्गत कितने हॉस्पिटल्स का नेटवर्क है, ताकि आपको इलाज के लिए ज्यादा दूर न जाना पड़े।

इसके अलावा को – पे  और सब लिमिट जैसे चीजों के बारे मे सही तरीके से समझ ले, ताकि आपको जरूरत पड़ने पर ज्यादा परेशानी न हो, सबसे जरूरी बात यह यह है कि आपको इंश्योरेंस कंपनी के क्लेम सेटलमेंट रेशियो पर भी ध्यान देना चाहिए।  

बहुत सी हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनीया कम प्रीमियम वाले प्लान मे अपने ग्राहकों को लिमिटेड फीचर ही प्रदान करती है। जिसके कारण इमरजेंसी के समय हॉस्पिटल मे होने वाले खर्च का भार आपकी जेब पर भी पड़ता है।

इसलिए सीधी भाषा मे अगर कहा जाए, तो कम प्रीमियम वाले प्लान के चक्कर मे ऐसे प्लान न ले, ताकि इमरजेंसी के समय हॉस्पिटल के खर्च का भार आपकी जेब पर भी पड़े क्योंकि यह थोड़ा सा ही भार आपको कंगाल बना सकता है। क्योंकि हॉस्पिटल जीतने बड़े होते है। उनके इलाज का खर्च उतना ही महंगा होता है।  

मेरे पास कंपनी का ग्रुप प्लान के तहत इंश्योरेंस कवर है इसलिए मुझे अलग से हेल्थ इंश्योरेंस प्लान की जरूरत नहीं है 

कई बार ऐसा होता कि आप किसी कॉम्पनी मे कार्यरत होते है, तो आपको कॉम्पनी की तरफ से हेल्थ इंसयोरेंस कवरेज मिल जाती है। जिसे ग्रुप प्लान इंसयोरेंस कवर भी बोला जाता है। ऐसे मे बहुत से लोगों के मन मे यह धारणा बन जाती है की आपकी यह पॉलिसी जिंदगीभर की है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह हेल्थ कवर आपका तभी तक वेलिड होता है जब तक आप कॉम्पनी के साथ जुड़े रहते है।

इसलिए अगर आप भी किसी कॉम्पनी मे कार्यरत है और आपका भी ग्रुप प्लान के तहत हेल्थ कवर है तो अलग अलग हेल्थ इंसयोरेंस पॉलिसी ( Health Insurance Policy ) जरूर लेनी चाहिए। जिसके कारण आपकी पॉलिसी कवरेज भी बढ़ जाती है और अगर आप किसी कारणवश जॉब छोड़ते है या बदलते है, तो आपका पॉलिसी कवर भी सेफ रहता है।  

कई बार ऐसा भी होता है कि कंपनी की तरफ से आपको जो हेल्थ इंश्योरेंस कवर मिला होता है। उसका फायदा आपको ज्यादा नहीं मिलता है। जिसके कारण ग्रुप पॉलिसी प्लान को ज्यादा कारगर नहीं माना जाता।  

हेल्थ इंश्योरेंस प्लान के सभी लाभ पहले दिन से मिलने शुरू हो जाएंगे 

अगर कोई भी व्यक्ति यह सोचता है, कि कि हेल्थ पॉलिसी लेने के बाद अगले दिन से ही आपको कवर मिलना शुरू हो जाएगा। ऐसा बिल्कुल नहीं है आमतौर पर हेल्थ पॉलिसी लेने के बाद आपको इस पॉलिसी का लाभ लेने के लिए कम से कम एक महीने का समय लगता है, लेकिन अगर  कोई व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, तो उसे पहले दिन से ही कवर मिल जाता है।

वहीं अगर आपको Health Insurance Policy लेने से पहले ही कोई पुरानी बीमारी है, तो आपको कुछ वर्षों के बाद उसका इलाज करवाने के लिए हेल्थ कवर मिल पायेगा।

अगर पॉलिसी लेने से पहले ही आपको कोई बीमारी है तो उसकी जानकारी भी आपको बीमा कंपनी को देनी होगी। अगर आप हेल्थ पॉलिसी लेते समय आप अपनी पुरानी बीमारी की जानकारी कंपनी को नहीं देते है, तो ऐसे में आपकी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

 आपके इलाज का सारा खर्च इंश्योरेंस कंपनी उठाएगी

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ( Health Insurance Policy ) के बाद पॉलिसीधारकों को लगता है कि अब उनके इलाज का सारा खर्च इंश्योरेंस कंपनी उठाएगी। लेकिन ऐसा नहीं होता है, हेल्थ इंसयोरेंस से जुड़ी ज्यादातर कॉम्पनियों

 मे को-पे क्लाज की सुविधा होती है। को-पे के मतलब यह होता है।आपके इलाज मे होने वाले कुल खर्च का कुछ परसेंट हिस्सा व्यक्ति खुद उठता है।

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उदाहरण के लिए अगर आपके इलाज मे खर्च होने वाली कुल राशि एक लाख रुपये है कि और आपका को-पे क्लाज दस फीसदी है, तो आपको हॉस्पिटल मे दस हजार रुपये जमा करने होंगे। बाकी के इलाज का सारा खर्च इंश्योरेंस कंपनी खुद उठाएगी।

इसके अलावा हेल्थ इंश्योरेंस में रूम रेंट, डॉक्टर की फीस को लेकर भी कॉम्पनी के द्वारा एक लिमिट तय की जाती है। अगर राशि उस लिमिट से ज्यादा खर्च होती है, तो ऊपर की राशि पॉलिसी होल्डर चुकनी पड़ती है।

उदाहरण के लिए अगर अपने हेल्थ पॉलिसी लेते समय में रूम रेंट के लिए 1,000 रुपये प्रतिदिन की सब-लिमिट तय की जाती है। आप किसी कारणवश 1,500 रुपये प्रतिदिन रेंट वाले रूम में एडमिट है तो अपनी और से 500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से चुकाने होंगे।

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आप अपने पॉलिसी कवर मे जिस प्रकार की सुविधा चाहते है तो पॉलिसी प्लान से जुड़े दस्तावेजों मे ये सभी जनकारिया मौजूद रहती है इसलिए पॉलिसी लेने से पहले उन दस्तावेजों को जरूर पढ़ ले। ताकि आपको बाद मे ऐसा न लगे कि मुझे ये बात तो बताई ही नहीं गई और इमरजेंसी के समय मे आपको किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। 

मैं स्मोकिंग करता हूं इसलिए मुझे हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज नहीं मिलेगा 

अगर आप स्मोकिंग करते है और आपको लगता है कि आपको हेल्थ इंश्योरेंस कवर नहीं मिल सकता है, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। अगर आप स्मोकिंग करते है, तो आपको भी हेल्थ इंश्योरेंस कवर मिल सकता है। लेकिन बस फर्क इतना होगा कि आपको स्मोकिंग नहीं करने वालों की तुलना में ज्यादा प्रीमियम जमा करना होगा।

इसका कारण है कि स्मोकिंग करने वाले लोगों के बीमार होने की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए इंश्योरेंस कंपनी आपको कवरेज देने के लिए ज्यादा प्रीमियम चार्ज करती है।

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अगर आप स्मोकिंग करते है और हेल्थ इंश्योरेंस कवर लेने की सोच रहे है तो कॉम्पनी आपको इंसयोरेंस कवर देने से पहले कड़े मेडिकल टेस्ट से गुजारती है, ताकि आपके शरीर की बीमारियों और कमजोरियों के बारे मे पता चल सके। इसलिए मेडिकल को लेकर डरे नहीं ये आपके स्वास्थ्य के बारे मे जनने के लिए एक बेहद जरूरी प्रकिरया है, ताकि आपको भी अपने शरीर के बारे मे पता चल सके क्या पता आपको कोई ऐसी बीमारी हो जिसके  बारे मे आपको भी मालूम न हो। 

निष्कर्ष

इन हेल्थ इंसयोरेंस पॉलिसी ( Health Insurance Policy ) से जुड़े मिथ के जानकर आपको इलाज के ऊंचे खर्च के लिए वित्तीय ताकत मिल जाती है। इसलिए जरूरी है कि आप किसी भी चीज के बारे मे पहले सही जानकारी प्राप्त करे क्योंकि अगर आपके पास सही जानकारी होगी।

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तभी आप उसका लाभ ले पायेगे गलत जानकारी होने की वजह से आपके मन मे हमेशा उस चीज के प्रति शंका बनी रहती है इसलिए आप उसका लाभ नही ले पाते। इस लेख म ए हमने आपको हेल्थ पॉलिसी से जुड़े कुछ मिथ के बारे मे संक्षेप मे जानकारी दी है।

उम्मीद करते है कि आपको हमारी ये जानकारी बेहद पसंद आई होगी अगर आपको ये जानकारी पसंद आई है तो आप अपनी राय हमे कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बताए और इस जानकारी को दूसरे लोगों  के साथ भी जरूर शेयर करे ताकि उन्हे भी इसके  बारे मे पता चल सके धन्यवाद 

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