जीडीपी को लेकर सभी लोगो के मन में सवाल उठते है कि जीडीपी क्या है इसकी शुरुआत किसने और कब की तो इन सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिलने वाले है। अगर आप भी जानना चाहते है कि जीडीपी क्या है और इसको कैसे मापा जाता है तो इस लेख को अंत तक जरूर पढे ।
जीडीपी GDP की शुरुआत कब हुई ?
जब दुनिया के सभी देश आर्थिक मंदी से जूझ रहे थे, तो इस आर्थिक मंदी से बहार निकलने में देशो को लगभग 10 वर्ष का समय लगा उसके बाद देश की आर्थिक स्थिति का पता लगाने के लिए ऐसे तरीके के बारे में खोज शुरू हुई जिससे किसी भी देश की आर्थिक स्थिति का पता लगाया जा सके।
लेकिन उस समय देश की आर्थिक स्थिति को मापने के कोई तरीक़ा नहीं था। इसलिए उस समय दुनिया की सभी बैंकिंग कंपनियाँ आगे आयी जिसमें फ़ाइनेंशियल इंस्टिट्यूडस और बैंक शामिल थे उन्होंने देश को भरोसा दिलाया कि वह देश के आर्थिक विकास का हिसाब रखेगी और उसे देश के सामने पेश करेगी।
इस तरह से देश के आर्थिक विकास मापने का काम बैंकों के हाथों में सोपा गया लेकिन देश की आर्थिक स्थिति को मापने का कोई स्थायी तरीक़ा न होने के कारण बैंकों का यह तरीका किसी भी देश की आर्थिक स्थिति का सही आंकलन नहीं कर पा रहा था।
दुनिया को जीडीपी शब्द का परिचय सबसे पहले एक अमेरिकी अर्थ-शास्त्री साइमन ने कराया था | जीडीपी को अर्थ-शास्त्री साइमन ने वर्ष 1935 – 1944 के दौरान इस्तेमाल किया था.
दुनिया में ये ऐसा दौर था जब विश्व की बैंकिंग संस्थाएं आर्थिक विकास को मापने के लिए किसी शब्द की तलाश कर रही थी जिनमे से ज्यादातर शब्द इसके लिए सटीक नहीं लग रहे थे शब्द ढूढ़ने के इसी क्रम में अमेरिकी अर्थ-शास्त्री साइमन जीडीपी शब्द को परिभाषित करके बताया। उसके बाद IMF यानी International Monetary Fund संस्था ने इस शब्द को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
जीडीपी (GDP)क्या है ?
सबसे पहले जानते कि जीडीपी का पूरा नाम क्या है gross domestic product ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट, जीडीपी किसी भी देश की आर्थिक स्थिति को मापने का एक पैमाना है। ताकि देश की आर्थिक स्थिति को आसानी से समझा जा सके,आमतौर पर जीडीपी की गणना एक वर्ष में की जाती है, लेकिन भारत में जीडीपी की गणना प्रत्येक तिमाही (3 माह ) में की जाती है।
किसी भी देश की जीडीपी का आंकड़ा अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन की वृद्धि दर पर आधारित होता है। शुरुआत में जीडीपी के अंतर्गत केवल कृषि, उद्योग व सेवा तीन प्रमुख घटक आते थे।
पिछले कुछ वर्षो में इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं यानी आईटी सर्विस सेक्टर को भी जोड़ दिया गया। इन सभी क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ने या घटने के औसत के आधार पर जीडीपी दर तय होती है।
उदाहरण के तौर पर
जीडीपी को हम आपको आसान भाषा में समझाते है –
मान लीजिए 2020 में हमारे देश में कुल मिला89कर 100 बोरी अनाज का उत्पादन हुआ और एक बोरी अनाज की कीमत 1000 रुपये है तो 2020 में हमारे देश की जीडीपी 100 ×1000= 100000 होगी। अब आप ये सोचेंगे कि अगर ऐसा हो कि इन अनाज की 100 बोरियो में से 50 बोरी सरकार उगाये, 30 बोरी कोई प्राइवेट कंपनी उगाये और 20 बोरी कोई विदेशी कंपनी उगाये। तो ऐसे में हमे किसको जोड़ना है और किसको छोड़ना है।
सरकार को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि उत्पादन कौन कर रहा है | जैसे कि हमने आपको पहले ही कहा है | जो भी प्रोडक्ट हमारे देश की सीमा के अंदर बना है,फिर चाहे उस प्रोडक्ट का उत्पादन किसी ने भी किया हो उसका कुुल मूल्य हमारे देश की जीडीपी (GDP) के अंतर्गत आता है।
ये तो जीडीपी को समझने का एक आसान तरीका है लेकिन किसी भी देश के अंदर सिर्फ मे दस बोरी अनाज उत्पादन ही नही किया जाता है | बल्कि ऐसे अन-लिमिटेड प्रोडक्ट है जो देश में बनते है और जैसा कि हमने पहले ही बताया चीजों के अलावा सेवा क्षेत्रों को भी हमे जोड़ना है तो इतना जटिल हिसाब करना कैसे संभव है इसी समस्या का समाधान ढूंढते हुए अर्थशास्त्रियों ने जीडीपी को भी दो भागों में बाँटा है ।
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जीडीपी कितने प्रकार की होती है ?
किसी भी देश की जीडीपी की मापने के लिए वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य की गणना की जाती है| बदलते समय के अनुसार इन वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण जीडीपी का आंकड़ा भी बदलता रहता है। इसके लिए टैक्स के आधार पर कई अप्रत्यक्ष और औसत गणना की जाती है।
किसी भी देश की जीडीपी दो तरह से प्रस्तुत की जाती है, क्योंकि उत्पादन की कीमतें महँगाई के साथ लगातार घटती बढ़ती रहती हैं। यह पैमाना है कॉन्टैंट प्राइस का जिसके अंतर्गत जीडीपी की दर व उत्पादन का मूल्यय एक आधार वर्ष में उत्पादन की कीमत पर तय होता है जबकि दूसरा पैमाना करेंट प्राइस है जिसमें उत्पादन वर्ष की महँगाई दर शामिल होती।
1. Constant Price ( स्थिर रेट ) Real
भारत का सांख्यिकी विभाग उत्पादन व सेवाओं के मूल्यांकन के लिए एक आधार वर्ष यानी बेस इयर तय करता है। इस वर्ष के दौरान कीमतों को आधार बनाकर उत्पादन की कीमत और तुलनात्मक वृद्धि दर तय की जाती है और यही कॉस्टैंट प्राइस जीडीपी है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जीडीपी की दर को महँगाई से अलग रखकर सही ढंग से मापा जा सके।
2. Current Price ( वर्तमान रेट )
जीडीपी के उत्पादन मूल्यय में अगर महँगाई की दर को जोड़ दिया जाए तो हमें आर्थिक उत्पादन की मौजूदा कीमत हासिल हो जाती है। यानि कि आपको कॉस्टैंट प्राइस जीडीपी को तात्कालिक महँगाई दर से जोड़ना होता है।
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जीडीपी निकलने का आसान तरीका
अर्थशास्त्रियों के द्वारा जीडीपी को मापने के लिए एक ऐसा फार्मूला तैयार किया गया ताकि देश का कोई भी व्यक्ति आसानी से जीडीपी निकल कर देश की आर्थिक स्थिति का पता लगा सके
जीडीपी ( GDP ) = Consumption ( उपभोग ) + Investment ( कुल निवेश ) + Government Spending ( सरकारी खर्च )+ { Export (निर्यात) – Import (आयात) }
Consumption (उपभोग)
Consumption शब्द को हिंदी भाषा में उपभोग कहा जाता है यानी कि देश के लोगों के व्यक्तिगत घरेलू व्यय जैसे भोजन, किराया, चिकित्सा व्यय और इस तरह के घरेलू व्यय को इसके अंदर शामिल किया जाता है परंतु नया घर इसमें शामिल नहीं हैं।
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Investment (कुल निवेश)
Investment शब्द को हिंदी भाषा में निवेश कहते है यानि कि देश के घरेलू सीमाओं के अंदर माल और सेवाओं पर सभी संस्थानों द्वारा किये गए कुल खर्च को ही कुल निवेश कहा जाता है।
Government Spending (सरकारी खर्च)
Government Spending शब्द को हिंदी भाषा में सरकारी खर्च कहते है जिसमें सरकार द्वारा किये गए सभी प्रकार के खर्च शामिल किये जाते है| जैसे – सरकार द्वारा किया गया निवेश, सभी प्रकार के सरकारी कर्मचारियों का वेतन, हथियार इत्यादि खरीदना।
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Export (निर्यात)
Export शब्द को हिंदी भाषा में निर्यात कहा जाता है। देश मे प्रोडक्ट उत्पादन को किसी दूसरे देश के उपभोक्ता के लिए माल और सेवाओं तैयार किया जाता हैं और इसे जिसे जीडीपी(GDP) में शामिल भी किया जाता है।
Import (आयात)
Import शब्द को हिंदी में आयात कहा जाता है। आयात से हम उन वस्तुओं और सेवाओं को रखते है जिसका उत्पादन हमारे देश की सीमा रेखा के बहार किया जाता है। जीडीपी निकालते समय हम आयात को घटा देते है।
भारतीय रिजर्व बैंक एक बार फिर जीडीपी ग्रोथ का सही अनुमान लगाने के लिए कुछ बदलाव करने जा रहा है .इस बार इसमें 12 सेक्टर जोड़े जा रहे हैं।
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- इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP)- कंज्यूमर गुड्स
- IIP- कोर सेक्टर
- ऑटोमोबाइल बिक्री
- नॉन-ऑयल-नॉन-गोल्ड आयात
- निर्यात
- रेल (मालवाहक) किराया
- एयर कार्गो
- विदेशी टूरिस्ट की आवक
- सरकार के पास जमा
- टैक्स नॉमिनल इफेक्टिव
- एक्सचेंज रेट (NEER)
- सेंसेक्स
- बैंक क्रेडिट
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निष्कर्ष
इस लेख में हमने आपको जीडीपी के बारे में संपूर्ण जानकरी दी है इस लेख में हमने आपको बताया है जीडीपी की शुरुआत कब और किसने की ,जीडीपी क्या है, GDP kya hai किसी भी देश की जीडीपी कैसे निकली जाए और जीडीपी का किसी भी देश के लिए कितना महत्व है अगर आपको ये लेख पसंद आया हो तो आप हमे कमेंट करके बताये लेकिन अगर जीडीपी को लेकर आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमसे कमेंट करके भी पूछ सकते है |