वेतन आयोग सरकारी कर्मियों का वेतन बढ़ाने हेतु एक सिफारिशी समिति है, जो देश में हर दस साल के अंतराल पर सरकारी कर्मचारियों का वेतन एक उचित दर पर बढ़ाने की सिफारिश करती है।
देश में पहला वेतन आयोग वर्ष 1946 -47 में लागू हुआ था। जिसमे सरकारी कर्मियों का न्यूनतम वेतन 55 रुपए और अधिकतम वेतन 2000 रुपए तय किया गया था। इसके बाद से देश में हर दस साल के बाद वेतन आयोग लागू हुआ और अब ये 7वां है।
आज हम आपको इस लेख मे सातवें वेतन आयोग 7th Pay Commission के बारे मे संपूर्ण जानकारी देने वाले है ताकि देश के सभी लोगों को इसके बारे मे सही और सटीक जानकारी मिल सके। इस लेख मे हमने आपको बताया है कि सातवें वेतन आयोग क्या है और देश के कर्मचारियों को इससे क्या फायदा होगा।
7वें वेतन आयोग की घोषणा कब हुई ?
7वें वेतन आयोग 7th Pay Commission की घोषणा तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 25 सितंबर 2013 को की थी | और इसके पश्चात तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 7वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी।
7वें वेतन आयोग के सदस्य
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर इस आयोग के अध्यक्ष है , इनके अलावा तीन और लोग इस आयोग के सदस्य है। जिनमे पहले है विवेक राय (पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस सचिव)। दूसरे है डॉक्टर रोथिन रॉय (निदेशक एनआईपीएफपी) और तीसरी सदस्य इस आयोग की सचिव भी है जिनका नाम मीना अग्रवाल है। ये वित्त मंत्रालय में व्यय विभाग के (ओएसडी) है।
7वें वेतन आयोग की रूपरेखा
7वें वेतन आयोग 7th Pay Commission की रूपरेखा को मंजूरी केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 28 फरवरी 2014 को दे दी थी। इसमे वेतन, भत्तों और अन्य सुविधाओं को ध्यान में रखकर रूपरेखा तैयार की गई है।
इस आयोग में नियामक संस्थाओ के सदस्यों और सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों और कर्मियों को शामिल किया गया है। यह आयोग भत्तों, सुविधाओं एवं लाभों की समीक्षा करेगा। इस आयोग का काम होगा की इस तरह का वेतन ढाँचा तैयार किया जाए की सरकारी सेवा के योग्य लोगों को आकर्षित कर सके।
आयोग को सिफारिश पेश करने के लिए कितना समय है ?
7वें वेतन आयोग को अपनी सिफ़ारिशें पेश करने के लिए इसके गठन की तिथि से 18 महीनों के अंदर का ही समय दिया गया है।
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7 वें वेतन आयोग की सिफ़ारिशें
7वें वेतन आयोग ने वेतन, भत्तों एवं पेंशन में 23.55 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की थी। लेकिन ये सरकारी खजाने पर 1.02 लाख करोड़ का बोझ होगा। इस आयोग की समिति ने वेतन में 14.27 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की है, जोकि पिछले सभी वेतन आयोगों में सबसे कम है।
इससे पिछले वेतन आयोग ने 20 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की थी जिसे की सरकार ने साल 2008 में क्रियान्वयन के समय दोगुना कर दिया था। आयोग ने मौजूदा न्यूनतम वेतन 7000 रुपए मासिक से बढ़ाकर 18,000 मासिक करने की एवं अधिकतम वेतन (जोकि मंत्रिमंडल सचिव का होता है) को 90,000 से बढ़ाकर 2.5 लाख करने की सिफारिश की थी।
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7 वें वेतन आयोग से मिलने वाले लाभ
- इस वेतन आयोग के लागू होने के बाद कर्मचारियों का पे स्केल कर्मचारी के ड्रोन पे +ग्रैड पे + 100% डीए के अनुसार कैलकुलेट होगा।
- इस आयोग की सिफ़ारिशें लागू होने के बाद से रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन में इज़ाफा होगा।
- इसमें मैक्सिमम एवं मिनिमम वेजेस का अनुपात 8 :1 रखा गया है।
- इस आयोग की सिफारिशानुसार वार्षिक इंक्रीमेंट 5% तक होगा।
- 7वें वेतन आयोग में अगर किसी का प्रमोशन होता है तो उसकी आय में 2 इन्क्रीमेंट के बराबर या कहे की उसकी आय में डबल इज़ाफा हो जायेगा।
- ट्रांसफर के वक़्त इसमें ट्रांसफर अलाउंस में भी इज़ाफा होगा।
- हाउसिंग बिल्डिंग अलाउंस को इस आयोग के बाद और भी आसानी से प्राप्त किया जा सकेगा।
- इसके अनुसार ट्रैवेलिंग अलाउंस भी बढ़ाया जायेगा।
- 7वें वेतन आयोगानुसार मेडिकल लीव को बढाकर 24 महीने किया जायेगा जिनमे 120 दिनों का पूरा वेतन तथा बाकी दिनों का आधा वेतन दिया जायेगा।
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