जब से दुनिया मे डिजिटल का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है, तो ज्यादातर सेवाये डिजिटल होती जा रही है, फिर चाहे वो रोजना की खबरों की जानकारी को हो , या मनोरंजन के साधन हो या फिर अनलाइन काम करने का तरीका हो।
यही कारण है आज के समय मे डिजिटल मीडिया का दौर भी तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन डिजिटल मीडिया के दौर मे कुछ ऐसी बाते है कुछ ऐसी घटनाए घटती रहती है जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है।
यही कारण है कि डिजिटल मीडिया पर होने वाले गलत चीजों पर रोकथाम लगाने के लिए सरकार ने कुछ नई गाइडलाइंस बनाई है, ऐसे मे नई गाइड लाइन शुरू होने से उन लोगों को फायदा होगा। जिनकी सोशल मीडिया या डिजिटल मीडिया या फिर ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ी समस्या अब तक नहीं सुनी जाती थी।
आज हम आपको इस लेख मे सरकार द्वारा डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के लिए बनाई गई नई गाइडलाइंस के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है। अगर आप भी इनके बारे मे जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो लेख को अंत तक पढे।
New Social Media Guidelines Hindi
सबसे पहले हम आपको बताते है कि आखिर इन गाइडलाइन को शुरू करने की सरकार को जरूरत क्यों हुई
11 दिसंबर 2018 को देश की सबसे बड़ी कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पॉर्न ग्राफी , रेप म गेंगरेप से जुड़ी कंटेन्ट को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से हटाने और उनके लिए सख्त गाइडलाइंस बनाने के लिए केंद्र सरकार से कहा था। लेकिन यह मामला तब से पेंडिंग था लेकिन हाल ही मे शुरू हुए किसान आंदोलन के बाद यह मुद्दा फिर से शुरू हुआ।
- काफी समय से सोशल मीडिया व अन्य डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के इस्तेमाल व गलत इस्तेमाल को लेकर डिबेट चल रही थी। लेकिन इस मामले मे सबसे बड़ा मोड किसान आंदोलन मे 26 जनवरी की हिसा के बाद आया। उसके बाद ही सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी।
- सोशल मीडिया सख्ती करने ने अमेरिका का हवाला भी दिया कि अगर अमेरिका में कैपिटल हिल पर किसी प्रकार का अटैक होता है , तो सोशल मीडिया पुलिस कार्रवाई का समर्थन करता है। लेकिन इसके विपरीत अगर भारत में लाल किले या यही पर कोई अटैक होता है ,तो आप डबल स्टैंडर्ड अपनाते हैं। जो बिल्कुल भी मान्य नही है।
- इसके अलावा ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर भी नग्नता परोसने के आरोप लगते रहते है (ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म यानि कि जहा पर आजकल फिल्मे और वेबसीरिज रिलीज की जा रही है ) यही कारण है कि इस बार शुरू हुए संसद सत्र में ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म को लेकर सांसदों की तरफ से 50 सवाल पूछे गए।
- करोना काल से पहले ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म की इतना डिमांड नहई थे लेकिन कोरोना काल मे ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म की डिमांड तेजी से बढ़ती जा रही है अगर हम पिछले तीन साल की बात करे तो देश मे ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म तेजी से बढ़े है।
वर्ष 2020 मे मार्च से जुलाई के बीच इसमें सबसे ज्यादा 30% की ग्रोथ हुई है । मार्च 2020 में ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर 22.2 मिलियन OTT यूजर्स थे, जोकि जुलाई 2020 में बढ़कर 29 मिलियन हो गए। देश में अभी 40 बड़े OTT प्लेटफॉर्म्स काम कर रहे है।
गाइडलाइन के दायरे में आने वाले प्लेटफॉर्म
- पहला : – इंटरमीडिएरीज
- दूसरा :- सोशल मीडिया इंटरमीडिएरीज।
- तीसरा :- सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडिएरीज।
- चौथा :- OTT प्लेटफॉर्म्स।
इंटरमीडिएरी को अगर हम आसान भाषा मे आपको समझाए तो एक ऐसा सर्विस प्रोवाइडर जो यूजर्स के कंटेंट को ट्रांसमिट और पब्लिश तो करता है, लेकिन न्यूज चेनल्स की तरह उस कंटेंट पर उसका कोई कंट्रोल नहीं होता।
इंटरमीडिएरीज आपके इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स हो सकते हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हो सकते हैं या ऐसी वेब सर्विसेज हो सकती हैं जो आपको कंटेंट अपलोड करने, पोस्ट करने या पब्लिश करने की इजाजत देती हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूजर्स के लिए कुछ कॉमन फायदे
- अगर किसी भी यूजर्स के साथ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर किसी प्रकार की घटना होती है। तो अब यूजर्स अपनी शिकायत पुलिस थाने मे कर सकेंगे। गाइडलाइंस बनने से पहले यूजर्स के पास सोशल मीडिया पोस्ट्स के खिलाफ आवाज उठाने के लिए केवल एक रिपोर्ट बटन होता था जहा से समस्याओ को समाधान नही हो पाता था। लेकिन अब मीडिया और डिजिटल मीडिया कॉम्पनियों को एक ऐसा मैकेनिज्म तैयार करना होगा। जहां से यूजर्स या कोई भी विक्टिम आसानी से अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
- गाइडलाइंस बनने से पहले अगर कोई भी यूजर्स सोशल मीडिया पर या किसी भी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के खिलाफ कोई शिकायत करता था तो यूजर्स को यही मालूम नहीं होता था कि उनकी रिपोर्ट के खिलाफ कौन विचार कर रहा है, कौन एक्शन लेगा लेकिन अब गाइडलाइंस बनने के बाद कॉम्पनियों को यूजर्स की समस्याओ का समाधान करने के लिए अधिकारी नियुक्त करना होगा। कॉम्पनियों को उस अधिकारी का नाम कॉन्टैक्ट डिटेल्स भी बताने होंगे।
- गाइडलाइंस बनने पहले अगर कोई यूजर्स किसी समस्या के खिलाफ रिपोर्ट करता था, तो उसे यह भी मालूम नही होता था, कि उसकी समस्या का समाधान कब तक होगा या नहीं ही पाएगा, लेकिन समस्याओ का समाधान करने वाले अधिकारी को 24 घंटे के अंदर सुनवाई करनी होगी और 15 दिन के अंदर शिकायत को निपटाना होगा।
- अगर सोशल मीडिया या किसी भी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के खिलाफ कोई महिलाओ से जुड़ी समस्या होती तो, उसके खिलाफ 24 घंटे के अंदर एक्शन लिया जाएगा, कॉम्पनियों को अब महिलाओ की गरिमा को ठेस पहुचाने वाले कंटेन्ट को 24 घंटे के अंदर हटाना होगा।
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वॉट्सऐप, फेसबुक जैसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सख्त नकेल
सोशल मीडिया के दायरे मे जो भी प्लेटफ़ॉर्म आयेंगे उन्हे सरकार द्वारा बनाई गई नई गाइडलाइंस को फॉलो करना होगा जोकि सभी प्लेटफ़ॉर्म के लिए कॉमन है उन्हे तो उन्हे इसका भारी हर्जाना चुकाना पड़ेगा। अब सवाल उठता है कि सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडिएरीज क्या है?
सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज का संबंध ऐसे प्लेटफार्म से हैं, जहां यूजर्स की संख्या बहुत ज्यादा हो। अब आप समझ सकते हो इसके दायरे मे कौन सी कॉम्पनीय आएगी।
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53 करोड़ यूजर्स वॉट्सऐप, 44.8 करोड़ यूजर्स यू-ट्यूब, 41 करोड़ यूजर्स फेसबुक, 21 करोड़ यूजर्स इंस्टाग्राम और 1.75 करोड़ यूजर्स वाली ट्विटर कॉम्पनी इत्यादि
बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 8 तरह से सख्ती
- सोशल मीडिया कंपनियों को आपत्तिजनक पोस्ट्स अपलोड करने वाले यूजर्स को ट्रेस करना होगा यानि कि किसी भी घटना को लेकर सबसे पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट किसने अपलोड की है। लेकिन अगर कोई घटना भारत के बहार से शुरू हुई है , तो भारत में सबसे पहले किसने सर्कुलेट किया, इसकी जानकारी सरकार को देनी होगी।
- देश की सुरक्षा, यूजर्स की सुरक्षा को ध्यान मे रखते हुए फॉरेन रिलेशंस और रेप जैसे मामलों में फर्स्ट ओरिजिन यूजर्स की जानकारी सरकार को मुहैया करानी होगी। जिस भी प्रसन के खिलाफ आरोप सही साबित हो जाते है, तो उसे पाँच वर्ष तक की सजा हो सकती है।
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- सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का यूजर्स से पालन करवाने के लिए चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी और कंपनियों को इस ऑफिसर का चुनाव भारतीय नागरिक को ही करना होगा।
इसके अलावा कंपनियों को एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन भी नियुक्त करना होगा, ताकि कोई भी सरकारी एजेंसियां उनसे कभी भी किसी वक्त संपर्क कर सके और यह ऑफिसर भी भारत का ही नागरिक होना चाहिए। - देश के काम करने वाले सभी बड़ी सोशल मैड कॉम्पनियों को प्रत्येक माह सरकार को एक रिपोर्ट जमा करनी होगी कि कितनी शिकायतें आईं और उन पर क्या कदम उठाए गए।
- सभी सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी वेबसाइट या एप्लीकेशन पर एक कॉन्टेक्ट एड्रेस भारत का भी देना होगा।
- सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले यूजर्स वेरीफाइड हो यानि कि किसी भी उन यूजर्स तक सरकार आसानी से पहुच सके उसके लिए कॉम्पनियों को वॉलंटरी वेरिफिकेशन मैकेनिज्म भी बनाना होगा। SMS पर OTP के जरिए इस तरह का वेरिफिकेशन की सुविधा उपलब्ध करानी होगी।
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- अगर कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अपनी मर्जी से किसी भी यूजर्स का कंटेन्ट अपने प्लेटफ़ॉर्म से हटाता है, तो उसे उसकी सूचना यूजर्स को देनी होगी और कंटेन्ट हटाने के कारण भी बताने होंगे।
OTT प्लेटफॉर्म्स को 6 बातें माननी होंगी
- ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मस और डिजिटल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मस को डिटेल्स /डिस्क्लोजर पब्लिश
करने होंगे कि वे इंफॉर्मेशन कहा से प्राप्त करते है। - ओटीटी प्लेटफ़ॉर्मस को भी शिकायतों का समाधान करने के लिए उसी प्रकार का सिस्टम तैयार करना होगा जैसे बाकी सोशल मीडिया कॉम्पनियों के लिए है यानि कि शिकायतो का समाधान करने के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति करके उसकी कॉन्टैक्ट डिटेल्स बताएं।
और तय किये गए समय मे सभी समस्याओं का समाधान करे।
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- ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपलोड होने वाले कंटेंट को यूजर्स के आधार पर पाँच केटेगरी मे विभाजन करना होगा। U (यूनिवर्सल), U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+ और A यानी एडल्ट।
- U/A 13+ या इससे ऊपर के कंटेन्ट के लिए कॉम्पनियों को पेरेंट लोक का विकल्प देना होगा
ताकि वे अपने बच्चों को एडल्ट कंटेंट से दूर रख सके। - अगर कोई भी यूजर्स एडल्ट कंटेंट देखना चाहता है, तो उसके लिए कंटेन्ट देखने वाली की आयु उसके लायक है या नहीं इसके वेरिफिकेशन के लिए कोई मैकेनिज्म बनाना होगा।