आज का जो विषय है वो अभी भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रहा है। यह अभी भी देश में एक ज्वलंत मुद्दा है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हम नए कृषि बिल 2020 की बात कर रहे है तो आइए आज हम आपको इनके बारे में बताते है कि सरकार द्वारा इन बिलों में क्या प्रावधान किए गए है।
कृषि बिल 2020 Krishi Bill Hindi
कृषि बिल 2020, सितंबर 2020 को पारित हुए थे | इस बिल में तीन अधिनियम है आइए इन अधिनियमों और इनके तहत किए गए प्रावधानों पर एक नजर डालते है।
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण)
इसमे किसान और व्यापारी राज्यों में मौजूद कृषि उत्पाद बाजार समिति के बाहर भी उत्पाद खरीद और बेच सकते है | किसानों की परिवहन की लागत को कम करने के लिए ई ट्रेडिंग का तंत्र विकसित करना।
2. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता
कृषि कारोबार करने वाली बड़ी कंपनियों,प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों, संगठित और खुदरा विक्रेताओं से किसानों को सीधे जोड़ना | कृषि के उत्पादों का दाम पहले से ही तय करके कारोबारियों से करार कराना, ऐसे किसान जिनके पास 5 हेक्टेयर से कम जमीन है उन्हे अनुबंधित कृषि से लाभ दिलाना।
3. आवश्यक वस्तु (संशोधन)
अनाज, दलहन, तिलहन, आलू, प्याज जैसी आवश्यक चीजों को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाना, ताकि युद्ध जैसे हालात को छोड़कर इनकी भंडारण की सीमा तय न हो।
कृषि बिलों के फायदे
कृषि बिलों में जो प्रावधान है उनसे मिलने वाले फायदो का ज़िक्र नीचे है
- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून के तहत किसान अपने कृषि उत्पाद कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र है। पहले किसान अपने ही राज्य की ए पी एम सी मंडियों में फसल बेच सकता था, लेकिन इस नए कानून के बाद किसान अपनी फसल अपनी मर्जी से कहीं भी बेच सकता है यानि अपने राज्य से बाहर किसी अन्य राज्य में भी।
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इस कानून का दूसरा फायदा जो किसानों को होगा वो यह है की किसान ई ट्रेडिंग के द्वारा अपनी परिवहन पर लगने वाली लागत को बचा सकता है। ई ट्रेडिंग किसानों के लिए एक नई चीज हो सकती है, क्योंकि इससे पहले वो अपनी फसल सीधे मंडियों में जाकर खुद ही बेचते थे या फिर बिचौलियों के द्वारा।
लेकिन अगर वो इसके आदि हो जाते है तो ये उनकी फसल को मंडियों तक ले जाने के लिए लगने वाले व्यय को बचा सकता है।
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- मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओ पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता कानून किसानों को सीधे बड़ी बड़ी कारोबारी कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, थोक व संगठित खुदरा विक्रेताओ और निर्यातकों से जोड़ता है।
यह कानून किसानों को अनुबंध के तहत कृषि करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करेगा | इससे किसानों को फसलों के पहले ही निश्चित दाम तो मिलेंगे ही साथ ही बड़ी बड़ी कंपनियों के द्वारा उपलब्ध कराई गई आधुनिक तकनीकों और उपकरणों को प्रयोग कर वो मुनाफा काम सकते है।
- आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून ये कानून आवश्यक वस्तुओं जैसे दाल,अनाज और सब्जियां इन चीजों के भंडारण की सीमा हट दी गई है | इससे कोल्ड स्टोरेज की क्षमता बढ़ेगी | और फसल उत्पादों के ख़राब होने का कम मौका होगा।
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नए कृषि बिलों की शंकाएं
नए कृषि कानूनों के अंतर्गत पहली शंका ये जताई जा रही है, कि किसान अगर सरकारी मंडियों के बाहर उत्पाद बेचते है तो राज्यों को उन मंडियों से होने वाले राजस्व का नुकसान होगा। जो कमीशन एजेंट थे उनका रोजगार ठप्प हो जाएगा , यदि सरकारी मंडियों तक फसल ही नहीं पहुचेंगी तो एम एस पी प्रणनाली ही खत्म हो जाएगी।
दूसरी शंका यह जताई जा रही है की अनुबंधित कृषि में जब अनुबंध होते है ,तो वो हमेशा बड़ी बड़ी कंपनियों के पक्ष में होते है। किसान कमजोर पक्ष होने के कारण इसका विरोध भी नहीं कर सकते है, इसमे शंका यह जताई जा रही है कि कृषि भी पूँजीपतियों या कॉर्पोरेट घरानों के हाथों में चली जाएगी।
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इसमें आशंका यह जताई जा रही है कि भण्डारण की सीमा की खत्म होने से चीज़ों की जमाखोरी बढ़ जाएगी। इससे आवश्यक वस्तुओं की कीमत इतनी बढ़ जाएगी कि वे आम आदमी की पहुँच से बाहर हो जाएगी |
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